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ईएसजी दृष्टिकोण
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वर्ष 2030 के लिए ईएसजी विजन
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पावरग्रिड में ईएसजी नंबर
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ईएसजी रेटिंग
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महत्व
ईएसजी दृष्टिकोण
पावरग्रिड प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के सतत विकास और संरक्षण के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है।
अपनी प्रबंधन प्रणालियों में लगातार सुधार करते हुए, विशेषज्ञ ज्ञान तक पहुँच प्राप्त करते हुए, और अत्याधुनिक एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित प्रौद्योगिकियों को अपनाते हुए, पावरग्रिड पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों से निपटने में बचाव, न्यूनीकरण और शमन के मूल सिद्धांतों का सख्ती से पालन करता है। जहां आवश्यक हो, पुनर्नवीकरण और संवर्द्धन भी किया जाता है।
कंपनी के विजन और मिशन के साथ प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए, पावरग्रिड निम्नलिखित पर जोर देता है:
- ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परिसंपत्तियों में निवेश करना, कार्बन-डाइ-ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी लाना और भारत सरकार के लक्ष्य के अनुरूप कार्य करना। (बिंदु के सम्मुख नवीकरणीय ऊर्जा परिसंपत्ति के चित्र)
- भूमि, जल और वायु के संदर्भ में एक स्थायी और स्वच्छ परिवेश में योगदान करना। (बिंदु के सम्मुख प्रासंगिक चित्र)
- संसाधनों के संरक्षण के लिए उपयोग में कमी, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण के सिद्धांत का उपयोग करना। (बिंदु के सम्मुख प्रासंगिक चित्र)
- सभी शामिल पक्षों के लिए पारदर्शी, नैतिक और निष्पक्ष बने रहना। (बिंदु के सम्मुख प्रासंगिक चित्र)
वर्ष 2030 के लिए ईएसजी विजन
" एक सतत और हरित विश्व के लिए जिम्मेदारियों में परिवर्तन"
न्यून कार्बन उन्मुख प्रचालन को अपनाना
हम अपने प्रचालन में कार्बन की तीव्रता को कम करेंगे और अपनी सम्पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में इसका पालन करेंगे।प्रबुद्ध खपत
हम अपने पर्यावरण प्रभाव को कम करने के लिए अपनी परियोजनाओं और प्रचालन में प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करेंगे।कार्यस्थल का विकास
हम कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देंगे और कर्मचारियों को सकारात्मक और समावेशी कार्य परिवेश प्रदान करेंगे।विश्वसनीय संबंध
लक्षित संचार कार्यक्रमों के माध्यम से प्रासंगिक जानकारी साझा करके हम अपने हितधारकों के साथ विश्वसनीय और सकारात्मक संबंध सृजित करेंगे।- एम्स (नई दिल्ली), आईजीआईएमएस (पटना), केजीएमयू फेज-I (लखनऊ) में पावरग्रिड विश्राम सदन कार्यशील हैं।
- केजीएमयू फेज- II (लखनऊ), जीएमसी (गुवाहाटी), रिम्स (रांची), डीएमसीएच (दरभंगा), निम्हांस (बेंगलुरु), एसएसजीएच (वडोदरा) और एमकेसीजी (बेहरामपुर) में पावरग्रिड विश्राम सदन कार्यान्वयनाधीन हैं।
- देश भर में 40 से अधिक स्थानों पर स्वास्थ्य जांच शिविरों के माध्यम से 3000 से अधिक ग्रामीणों को लाभान्वित किया गया.
- अस्पतालों, पीएचसी, सीएचसी को चिकित्सा अवसंरचना, सहायक यंत्र और उपकरण के लिए सहायता।
- राजस्थान के सरकारी स्कूलों में 100 स्मार्ट क्लासरूम।
- तमिलनाडु, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 82 सरकारी स्कूलों को डेस्क/बेंच की आपूर्ति।.
- सांप्रदायिक सद्भाव के लिए राष्ट्रीय फाउंडेशन के तहत 1260 छात्रों के लिए वित्तीय सहायता।
- विभिन्न सरकारी स्कूलों में 39 कक्षा-कक्ष एवं 1 भोजन कक्ष का निर्माण।.
- लिंग के आधार पर किसी भी भेदभाव का न होना सुनिश्चित करने के लिए नीति बनाई गई है।
- आंतरिक शिकायत समितियों (आईसीसी) के माध्यम से महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 का कार्यान्वयन।
- हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और राजस्थान के 5 विभिन्न स्थानों पर महिलाओं को सिलाई और बुनाई मशीनों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
- त्रिशूर सबस्टेशन का ओ एंड एम कार्य पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा संभाला जाता है।
- महिला सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन।
- उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और बिहार में सार्वजनिक स्थानों पर 2093 शौचालयों का निर्माण किया गया।
- उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में 1655 से अधिक हैंडपंपों की स्थापना।.
- गुजरात और ओडिशा में 05 जैविक अपशिष्ट परिवर्तक मशीनों की आपूर्ति।
- ‘नमामि गंगे', गंगा नदी के लिए एक एकीकृत संरक्षण मिशन के लिए अंशदान
- हमारे सभी सब-स्टेशनों पर उपयुक्त किस्मों के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण।
- "पश्चिमी गुजरात के शुष्क क्षेत्रों में एविफौना पर विद्युत लाइनों के प्रभावों का आकलन" पर किया गया अध्ययन, जो एविफौना संरक्षण के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों को तैयार करने और लागू करने में सभी पारेषण और वितरण यूटिलिटीज की मदद करेगा।
- रिपोर्टिंग अवधि के दौरान 2 जीएचजी कटौती उपाय के रूप में ₹ 3.3 लाख से अधिक समकक्ष टन टीसीओई की कमी।
- विभिन्न तकनीकी और प्रबंधकीय नवाचारों को अपनाने के परिणामस्वरूप वन भूमि की भागीदारी वर्ष 1998 के 6% से उत्तरोत्तर कमी के साथ रिपोर्टिंग अवधि के दौरान 1.34 प्रतिशत हो गई।.
- हमारे सभी सब-स्टेशनों पर उपयुक्त किस्मों के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण।
- "पश्चिमी गुजरात के शुष्क क्षेत्रों में एविफौना पर विद्युत लाइनों के प्रभावों का आकलन" पर किया गया अध्ययन, जो एविफौना संरक्षण के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों को तैयार करने और लागू करने में सभी पारेषण और वितरण यूटिलिटीज की मदद करेगा।
- रिपोर्टिंग अवधि के दौरान 2 जीएचजी कटौती उपाय के रूप में ₹ 3.3 लाख से अधिक समकक्ष टन टीसीओई की कमी।
- विभिन्न तकनीकी और प्रबंधकीय नवाचारों को अपनाने के परिणामस्वरूप वन भूमि की भागीदारी वर्ष 1998 के 6% से उत्तरोत्तर कमी के साथ रिपोर्टिंग अवधि के दौरान 1.34 प्रतिशत हो गई।.
- सौर ऊर्जा पार्कों से विद्युत निकासी के लिए हरित ऊर्जा गलियारों और पारेषण प्रणालियों का सफल कार्यान्वयन।.
- आंशिक रूप से विद्युतीकृत/गैर-विद्युतीकृत 87,409 गांवों के विद्युतीकरण के लिए अवसंरचना का सृजन किया गया।
- सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए भारत सरकार की सार्वजनिक खरीद नीति (पीपीपी)के अनुरूप विभिन्न पहलों के माध्यम से एमएसई से खरीद को समर्थन और प्रोत्साहित करना।
- वर्ष 2017-19 के संदर्भ में वर्ष 2019-21 में पीएटी में 25% की वृद्धि।
- दमोह जिले के गरीब परिवारों के लिए आय-सृजक कौशल विकास कार्यक्रम का कार्यान्वयन।
- पश्चिम बंगाल में विद्युत पारेषण लाइन टावर के उत्थापन और स्ट्रिंगिंग पर क्षमता निर्माण गतिविधियां।
- वर्ष 2019-21 के दौरान प्रमुख सामग्री खपत में अनुमानित बचत 37,12,236 मीट्रिक टन थी।
- पारेषण नेटवर्क की उपलब्धता 99.5% से अधिक बनी हुई है।.
- दूरसंचार नेटवर्क की उपलब्धता 99.95% से अधिक है।
- दूरसंचार एंटेना की शक्ति के लिए पारेषण टावरों पर संस्थापित अर्थ वायर में प्रेरक विद्युत का उपयोग।
- 35 भारतीय उपकरण निर्माताओं के सहयोग से 1200 केवी एचवीएसी प्रणाली का सफल विकास किया गया।
- प्रतिष्ठित एजेंसियों/संस्थानों के सहयोग से विभिन्न सीएसआर परियोजनाएं शुरू की गईं।
- भारत में 765 केवी जीआईएस के लिए वेंडर विकास।
- ज्ञान के आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण, विचारों के आदान-प्रदान और सर्वोत्तम परिपाटियों एवं सतत वित्त के माध्यम से विकास और उन्नति के सतत मार्ग को प्राप्त करने के उद्देश्य से जीआरआई, टीईआरआई, विश्व बैंक, एडीबी जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ सहयोग।
हरित भविष्य की ओर
- 2047 तक नेट ज़ीरो संगठन बनने की दृढ़ राह पर
- 2025 तक 50% आंतरिक ऊर्जा का उपयोग नवीकरणीय ईंधन स्रोतों से
- 2030 तक नेट वाटर पॉजिटिव संगठन बनना
- 2030 तक "जीरो वेस्ट टू लैंडफिल" का दर्जा हासिल करना
पर्यावरण – प्रकृति पर पावरग्रिड के प्रभाव को कम करना
Note: Last 5 years data in Graph
Ground Water Recharge through Rainwater Harvesting (KL)
Water Consumption (KL)
Total Waste (Tons)
SF6 Emission
Non-Hazardous Waste (Tons)
Hazardous Waste (Tons)
Energy Consumption (GJ)
Emissions (T CO2 EQ)
पहलें
- पावरग्रिड कंपनी का लक्ष्य 2025 तक अपनी 50% बिजली नवीकरणीय स्रोतों से उपभोग करना है और इसे बड़े पैमाने पर सौर पीवी संयंत्रों और छत पर सौर पीवी के माध्यम से हासिल करने की योजना है।
- 153 से अधिक स्थानों पर 10.2 मेगावाटपी रूफटॉप सौर पीवी प्रणालियों की स्थापना पूरी हो चुकी है और लगभग 15 मेगावाटपी परियोजनाएं कार्यान्वयन/योजना के अधीन हैं। नागदा में 85 मेगावाट सौर पीवी परियोजना की स्थापना के लिए पावरग्रिड की पहली बड़े पैमाने की वाणिज्यिक परियोजना विकासाधीन है। इसके अलावा, जबलपुर, वर्धा, औरंगाबाद और खम्मम सबस्टेशनों पर 82 मेगावाट की डीपीआर भी मंजूरी के लिए शुरू की गई है।
- पावरग्रिड ने 765 केवी और 400 केवी स्तर पर ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (जीईसी) - इंटरस्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) के साथ-साथ इसकी नियंत्रण अवसंरचना का कार्यान्वयन किया है जिसमें नवीकरणीय उत्पादन का पूर्वानुमान, गतिशील प्रतिपूर्ति, एसएलडीसी / आरएलडीसी / एनएलडीसी स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) की स्थापना आदि शामिल है।
- पावरग्रिड नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के एकीकरण के लिए पारेषण अवसंरचना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और देश में विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों (66.5 गीगावॉट) के ग्रिड एकीकरण के लिए एक व्यापक पारेषण योजना विकसित की है। इस तरह की पहल न केवल थर्मल उत्पादन पर निर्भरता को कम करती है बल्कि विश्वसनीय ग्रिड कनेक्टिविटी, जिसे पहले नवीकरणीय ऊर्जा विकास के लिए एक बड़ी बाधा माना जाता था, प्रदान करके नवीकरणीय उत्पादन को बढ़ावा देती है।
- पावरग्रिड ने 65 से अधिक स्थानों को कवर करते हुए लगभग 6 MWp रूफटॉप सोलर पीवी प्रणाली स्थापित की हैं, जो संचयी रूप से वर्ष में लगभग 8 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पन्न कर रही हैं, जिससे कॉर्बन-डाइ-ऑक्साइड का उत्सर्जन लगभग 8000 मीट्रिक टन प्रति 2 वर्ष कम हो गया है। इसके अतिरिक्त, 65 स्थानों पर 5 मेगावॉट रूफटॉप सोलर पीवी प्रणाली की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।
- भारत सरकार के ई-मोबिलिटी मिशन के अनुरूप, पावरग्रिड ई-मोबिलिटी समाधानों की सुविधा के लिए पूरे भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग स्टेशन विकसित कर रहा है।
- पावरग्रिड ने वरिष्ठ प्रबंधन को उनके दैनिक आवागमन के लिए एक कार्यालय इलेक्ट्रिक वाहन प्रदान किया।
- भूजल के संरक्षण और पुनःभरण के लिए सभी प्रतिष्ठानों में वर्षा जल संचयन और प्रयुक्त / अपशिष्ट जल के संग्रह का प्रावधान अनिवार्य कर दिया गया है।
सामाजिक – समाज में निष्पक्षता के लिए किसी कंपनी का योगदान
पहलें
- स्थानीय खरीद- पावरग्रिड विभिन्न नीतिगत उपायों के माध्यम से स्थानीय सोर्सिंग/स्वदेशी भागीदारी को प्रोत्साहित कर रहा है और आपूर्तिकर्ताओं के साथ तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित कर रहा है, जिससे स्थानीयकरण और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है।
- मान्यताएं - पावरग्रिड को ग्रेट प्लेस टू वर्क इंस्टीट्यूट द्वारा 700 से अधिक कंपनियों में से कार्य करने के लिए भारत की 68वीं सर्वश्रेष्ठ कंपनी के रूप में स्थान दिया गया है।
- सामाजिक - सभी सबस्टेशन सुविधाओं में और उसके आसपास उपयुक्त स्वदेशी प्रजातियों के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण। पिछले दशक के दौरान 4 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं।
- एलीफेंट रिजर्व - एलीफेंट रिजर्व की जानकारी यहां देखी जा सकती है।
अभिशासन - – निर्णय लेने के लिए प्रक्रियाओं की गुणवत्ता
ईएसजी रेटिंग
रेटिंग एजेंसी | रेटिंग | पिछली बार अद्यतन करने की तारीख |
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सस्टेनलिटिक्स | 22.1 (मध्यम जोखिम) | मई, 2024 |
एम एस सी आई | अ(औसत) | दिसंबर, 2023 |
एस एंड पी ग्लोबल | 42 | अक्टूबर, 2024 |
एल एस ई जी | 51 | दिसंबर, 2023 |
महत्व
पावरग्रिड की सततता कार्यनीति इसके प्रमुख व्यवसाय और प्रचालन जोखिमों के अनुरूप है। पिछले कुछ वर्षों में, मौजूदा बाजार स्थितियों के साथ संगठन को संरेखित करने के लिए कार्यनीति का पुनर्मूल्यांकन और पुनरीक्षण किया गया है। हमारी सततता अधिमान्यता परिपाटी हमें प्रभाव/महत्व की गंभीरता पर सततता के मुद्दों को अलग करने और प्राथमिकता देने में मदद करती है।