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उपलब्धियां

पृष्ठभूमि

वर्ष 1980 में, विद्युत क्षेत्र सुधार पर राजाध्यक्ष समिति ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें यह सुझाव दिया गया कि भारतीय बिजली क्षेत्र में व्यापक सुधारों की आवश्यकता है। वर्ष 1981 में, भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय पावर ग्रिड बनाने का नीतिगत निर्णय लिया, जिसने केंद्रीय और क्षेत्रीय पारेषण प्रणाली के एकीकृत प्रचालन का मार्ग प्रशस्त किया।

दिनांक 23 अक्टूबर, 1989 को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत, राष्ट्रीय विद्युत पारेषण निगम लिमिटेड का गठन किया गया था, और देश में उच्च वोल्टेज पारेषण प्रणाली की योजना, निष्पादन, स्वामित्व, प्रचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी इसे सौंपी गई थी। अक्टूबर 1992 में, राष्ट्रीय विद्युत पारेषण निगम लिमिटेड का नाम बदलकर पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड कर दिया गया, जैसा कि आज हम जानते हैं।

Milestone
1981 में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय पावर ग्रिड बनाने का नीतिगत निर्णय लिया

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

2009

2008

2007

2006

2005

2004

2003

2002

2001

2000

1999

1998

1997

1996

1995

1994

1993

1992

1991

1990

1989

2023

2023

1. पावरग्रिड ने उत्तर प्रदेश राज्य में दूसरी इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन परियोजना “ रामपुर संभल ट्रांसमिशन लिमिटेड (PRSTL)” को सफलता पूर्वक कमीशन किया ।

2. ±800kV रायगढ़-पुगलूर एचवीडीसी लिंक के माध्यम से भारत में पहली बार 6.6 GW बिजली का स्थानान्तरण स्थानांतरित किया गया ।

3. आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने लद्दाख में 13 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना के लिए "ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (जीईसी) चरण- II - अंतर-राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस)" परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना को वित्त वर्ष 2029-30 तक स्थापित करने का लक्ष्य है, जिसकी कुल अनुमानित लागत रु. 20,773.70 करोड़ है और परियोजना के लिए परियोजना लागत का 40% यानी 8,309.48 करोड़ रुपये की दर से केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) दी जाएगी। इस परियोजना के लिए पावरग्रिड को कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।

2022

  • आरईएमसी तेलंगाना को चालू कर दिया गया है और इस तरह पावरग्रिड को सौंपे गए सभी आरईएम अब चालू हो गए हैं।

2021

  • पावरग्रिड अवसंरचना निवेश ट्रस्ट (पीजीआईएनवीआईटी): सीपीएसई द्वारा पहला अवसंरचना निवेश ट्रस्ट प्रायोजित किया गया और पावरग्रिड द्वारा किसी भी अवसंरचना निवेश ट्रस्ट /आरईआईटी के माध्यम से 7,734.99 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रस्ताव सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
  • ±800 केवी रायगढ़ - पुगलुर एचवीडीसी ट्रांसमिशन लाइन का बाइपोल-I (3000 मेगावाट) चालू किया गया।
  • भारत में पहली बार, वोल्टेज स्रोत परिवर्तक/कन्वर्टर (वीएससी) प्रौद्योगिकी: ±320 केवी वीएससी आधारित एचवीडीसी टर्मिनलों का मोनोपोल 1 और 2 और संबंधित ±320 केवी एचवीडीसी पुगलूर - उत्तरी त्रिशूर ट्रांसमिशन लाइन।
  • रायगढ़ - पुगलूर -त्रिशूर 6000 मेगावाट मेगा एचवीडीसी परियोजना पूरी हो चुकी है।
  • विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रतिष्ठित 220केवी श्रीनगर-लेह पारेषण प्रणाली (एसएलटीएस) वाया द्रास - कारगिल और खालस्ती को अंतर्राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) के रूप में फिर से नामित किया है।
  • पावरग्रिड ने एनटीएएमसी से 250वें सबस्टेशन (765/400 केवी खेतड़ी सबस्टेशन) को दूरस्थ प्रचालन में डाल दिया है।
2020

2020

  • ± 800 केवी चंपा - कुरुक्षेत्र एचवीडीसी स्टेशन बिपोल- II चालू किया गया।
  • 6000 मेगावाट रायगढ़ - पुगलुर एचवीडीसी के पोल-I को चालू किया गया।
  • भारत सरकार के लिए अक्षय ऊर्जा एकीकरण हेतु 11 नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन केंद्रों (आरईएमसी) को पूर्ण रूप से चालू किया गया।
  • कोविड-19 महामारी के लिए मजबूत और मानवीय प्रतिक्रिया प्रदान की गई।
  • बीएचईएल के सहयोग से भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित 400 केवी ऑप्टिकल करंट ट्रांसफार्मर चालू किया गया।
  • अवसंरचना निवेश ट्रस्ट के माध्यम से मुद्रीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई, किसी सरकारी संस्थान द्वारा शुरू किया गया पहला अवसंरचना निवेश ट्रस्ट।
2019

2019

'महारत्न' कंपनी का दर्जा प्रदान किया गया।

  • सकल ब्लॉक के मामले में देश का तीसरा सबसे बड़ा सीपीएसई बन गया।
  • 220 केवी श्रीनगर लेह पारेषण प्रणाली चालू की गई, जिससे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लद्दाख क्षेत्र को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ा गया। यह केंद्र सरकार की एक प्रमुख परियोजना थी जिसका उद्देश्य उक्त क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता और गुणवत्ता में सुधार करना था।
  • नई दिल्ली में छठी अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन ग्रिडटेक-2019 का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति ने किया।
  • लगभग 2,800 ट्रांसफार्मर और रिएक्टरों की दूरस्थ निगरानी के लिए कंपनी द्वारा ही संपत्ति अनुक्रमण सॉफ्टवेयर विकसित किया गया।
2018

2018

  • वाराणसी जिले में पुरानी काशी की एकीकृत विद्युत वितरण स्कीम/योजना (आईपीडीएस) परियोजना के तहत भूमिगत केबल बिछाने का कार्य। परियोजना को भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया।
  • 2x600 मेगावाट जवाहरपुर ताप विद्युत संयंत्र और संबंधित पारेषण प्रणाली से बिजली की निकासी के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (टीबीसीबी) के माध्यम से पहली अंतर्राज्यीय पारेषण परियोजना का अधिग्रहण किया।
  • पायलट आधार पर हैदराबाद में मियापुर मेट्रो स्टेशन पर पहला सार्वजनिक ईवी फास्ट-चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया गया।
2017

2017

  • रिकॉर्ड 15,000 मेगावाट की अंतर-क्षेत्रीय बिजली अंतरण क्षमता जोड़ी गई
  • ± 800 केवी चंपा - कुरुक्षेत्र हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) पोल- I चालू किया गया
  • ±800 केवी विश्वनाथ चरियाली - अलीपुरद्वार-आगरा एचवीडीसी मल्टी टर्मिनल ट्रांसमिशन परियोजना, दुनिया में अपनी तरह की पहली परियोजना कमीशन की गई
  • पृथ्वी में प्रेरित वोल्टेज के उपयोग के द्वारा दूरसंचार उपकरणों के लिए आवश्यक बिजली प्रदान करने के लिए पायलट परियोजना को पूरा किया गया
2016

2016

  • दिनांक 08.05.2016 को पावरग्रिड के राष्ट्रीय परीक्षण स्टेशन (एनटीएस) में बिजली के प्रवाह की शुरुआत के साथ दुनिया का उच्चतम वोल्टेज 1200 किलोवोल्ट (केवी) का एहसास हुआ। परियोजना बीना, मध्य प्रदेश में स्वदेशी रूप से निर्मित।
  • पावरग्रिड द्वारा निर्मित त्रिपुरा के पलटाना से बांग्लादेश को दी जाने वाली 100 मेगावाट बिजली की आपूर्ति को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दिनांक 23.03.2016 को रिमोट कंट्रोल के माध्यम से उद्घाटन किया।
  • 20 फरवरी को, नेपाल से दौरे पर आए प्रधान मंत्री केपी ओली और उनके भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी ने नेपाल और भारत को जोड़ने वाली 400केवी ट्रांसमिशन लाइन का उद्घाटन किया।
  • पारेषण लाइन के नेपाल हिस्से का निर्माण 13.5 मिलियन डॉलर की लागत से किया गया था और यह पहले से ही नेपाल को 80मेगावाट बिजली की आपूर्ति कर रहा है। इसे अक्टूबर 2016 में 220 केवी पर 200 मेगावाट और अंततः 400 केवी पर 600 मेगावाट तक बढ़ाया जाएगा।
  • दिनांक 10.10.2016 को 400/220 केवी जीआईएस सब-स्टेशन का समर्पण। यह एक रिमोट सब-स्टेशन होगा और एनटीएएमसी, मानेसर से प्रचालित होगा।
2015

2015

  • मानेसर, गुड़गांव में राष्ट्रीय पारेषण परिसंपत्ति प्रबंधन केंद्र (एनटीएएमसी) का उद्घाटन। पावरग्रिड और पूरे भारत में फैले सभी सब-स्टेशनों की निगरानी और नियंत्रण इस केंद्र से ऑनलाइन (24x7) किया जाएगा।
  • आगरा में विश्व की सबसे बड़ी मल्टी-टर्मिनल ±800kV एचवीडीसी परियोजना दिनांक 22.09.2015 को पूरी हुई। बिश्वनाथ चरियाली, असम (उत्तर-पूर्वी क्षेत्र) से यूपी में आगरा तक इस पावर ट्रांसमिशन एक्सप्रेस हाईवे के माध्यम से बिजली किसी भी/दोनों दिशा में प्रवाहित हो सकती है।
2014

2014

  • अंतर क्षेत्रीय लिंक 765 केवी रांची - धर्मजयगढ़ - सीपत ट्रांसमिशन लाइन और 765 केवी सोलापुर- रायचूर ट्रांसमिशन लाइन राष्ट्र को समर्पित।
  • लेह - कारगिल -श्रीनगर पारेषण प्रणाली.2011 की आधारशिला रखी गई।

2013

  • रायचूर - सोलापुर ( दक्षिण-पश्चिम) की कमीशनिंग के साथ एक राष्ट्र-एक ग्रिड-एक आवृत्ति का लंबे समय से पोषित सपना पूरा हुआ
  • 765 केवी सिंगल सर्किट आगरा-मेरठ ट्रांसमिशन लाइन राष्ट्र को समर्पित।
  • असम में बिश्वनाथ चरियाली और पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार से उत्तर प्रदेश में आगरा तक लगभग 2,000 किमी की ±800 केवी, 6000 मेगावाट मल्टी-टर्मिनल एचवीडीसी प्रणाली के लिए आधारशिला रखी गई ।
  • सार्क ग्रिड को मजबूत करने के लिए बांग्लादेश में एचवीडीसी बैक टू बैक टर्मिनल के साथ-साथ भरमारा (बांग्लादेश) - बहरामपुर (भारत) 400 केवी डबल सर्किट लाइन को कमीशन किया गया।
  • इक्विटी शेयरों का दूसरा फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) लॉन्च किया गया।
  • अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग पहली बार ली गई- एस एंड पी और फिच रेटिंग दर पावरग्रिड बीबीबी- (आउटलुक-स्थिर)।
  • पहला विदेशी मुद्रा बांड लिया गया।
  • सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध।
2012

2012

  • मध्य प्रदेश के बीना में भारत का पहला 1200 केवी राष्ट्रीय परीक्षण स्टेशन राष्ट्र को समर्पित।
  • कंपनी ने पहली बार अपना (दृष्टि)/विजन अपनाया और अपने ध्येय/मिशन को पुन: स्थापित किया।
  • पुडुचेरी में स्मार्ट ग्रिड नियंत्रण केंद्र की स्थापना की गई।

2011

  • मुंद्रा, गुजरात में पहले अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) के लिए ट्रांसमिशन सिस्टम कमीशन किया गया।

2010

  • राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) परियोजना, एक दूरसंचार अवसंरचना परियोजना को लागू करने के लिए एक संघ सदस्य के रूप में चुना गया।
  • इक्विटी शेयरों का पहला फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) लॉन्च किया गया।
2009

2009

  • कटवारिया सराय, नई दिल्ली में राष्ट्रीय लोड/भार प्रेषण केंद्र (एनएलडीसी) स्थापित
  • पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीओएसओसीओ/POSOCO) एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी की स्थापना की गई।

2008

  • पुल -ए- खुमरी से काबुल पारेषण प्रणाली तक डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन पूरी हो गई है। " नवरत्न" का दर्जा दिया ।

2007

  • 1200 किमी पूर्व-उत्तर, ताला पारेषण प्रणाली, सरकारी और निजी क्षेत्र की पारेषण प्रणाली में पहला संयुक्त उद्यम, राष्ट्र को समर्पित।
  • स्टॉक एक्सचेंजों पर पावरग्रिड के इक्विटी शेयरों का सूचीबद्धन।
  • सीपत से सिवनी तक सघन टावर विन्यास के साथ देश की पहली 765 केवी लाइन चालू।

2006

  • पश्चिमी क्षेत्र के लिए एकीकृत भार प्रेषण और संचार योजना शुरू की गई।
  • सोलापुर में पश्चिमी क्षेत्र प्रणाली सुदृढ़ीकरण योजना- II की आधारशिला रखी गई।
  • बाढ़/बरह पारेषण प्रणाली का शुभारंभ।

2005

  • पूर्वी क्षेत्र के लिए एकीकृत लोड/भार प्रेषण और संचार योजना शुरू की गई।
2004

2004

  • रायपुर-राउरकेला डबल सर्किट में थाइरिस्टर नियंत्रित श्रृंखला संधारित्र (टीसीएससी)। भारत में पहली टीसीएससी परियोजना और एशिया में दूसरी
  • बेंगलुरु में पावरग्रिड के दूरसंचार नेटवर्क और क्षेत्रीय दूरसंचार नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन।
  • राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) के तहत ग्रामीण विद्युतीकरण कार्य करने के लिए भारतीय ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए ।
2003

2003

  • ताला जल-विद्युत परियोजना से जुड़ी पारेषण प्रणाली को लागू करने के लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड के साथ पीपीपी के तहत पहला संयुक्त उद्यम निर्मित।
  • भूटान दूरसंचार से पहला अंतरराष्ट्रीय परामर्श अनुबंध सुरक्षित।
2002

2002

  • अत्याधुनिक लोड प्रेषण केंद्र कमीशन किया गया।
  • उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों के लिए एकीकृत भार प्रेषण और संचार योजनाएं शुरू की गईं।
  • सासाराम एचवीडीसी ने बैक-टू-बैक ट्रांसमिशन चालू किया गया जिससे राष्ट्रीय ग्रिड के निर्माण का पहला चरण पूरा हो गया।
  • 2,000 मेगावाट तालचर-कोलार बाइपोलर एचवीडीसी लिंक चालू किया गया।
2001

2001

  • दूरसंचार व्यवसाय में विविधीकरण।
  • एसआरटीएस-द्वितीय, बेंगलुरु के क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन
  • पंजाब में मोगा और जम्मू-कश्मीर में किशनपुर के बीच पहला 800केवी ट्रांसमिशन लिंक चालू किया गया।
2000

2000

  • उत्तरी क्षेत्र एकीकृत भार प्रेषण और संचार परियोजना के तहत चंडीगढ़ और दिल्ली के बीच पहला ऑप्टिक फाइबर लिंक चालू किया गया।

1999

  • जियोपार, गाज़ुवाका, आंध्र प्रदेश में, पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों को आपस में जोड़ते हुए 500मेगावाट एचवीडीसी बैक टू बैक परियोजना चालू की ।

1998

  • "मिनी रत्न श्रेणी- I" का दर्जा प्रदान
  • अपनी पारेषण परियोजनाओं से संबंधित पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए "पर्यावरण और सामाजिक नीति और प्रक्रियाएं" तैयार की।
  • केंद्रीय पारेषण उपयोगिता के रूप में अधिसूचित।

1997

  • 1000 मेगावाट चंद्रपुर एचवीडीसी बैक टू बैक स्टेशन को चालू करके पश्चिमी क्षेत्र को दक्षिणी क्षेत्र से जोड़ा गया।

1996

  • उत्तरी क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र और पश्चिमी क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र का प्रबंधन पावरग्रिड को सौंपा गया।

1995

  • पूर्वी क्षेत्रीय प्रेषण केंद्र और उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र का प्रबंधन पावरग्रिड को सौंप दिया गया।

1994

  • ग्रिड प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
  • भारत सरकार के साथ पहला समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षरित। "उत्कृष्टता" की उच्चतम रेटिंग प्राप्त की।
  • दक्षिणी क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र का प्रबंधन संभाला।

1993

  • टिहरी जल विकास निगम लिमिटेड की पारेषण परिसंपत्तियां अर्जित की।

1992

  • देश का पहला स्थैतिक वीएआर कंपनसेटर (एसवीसी) 400 केवी कानपुर सबस्टेशन में चालू किया गया।
  • राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी), राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) और उत्तर पूर्वी इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएनईपीसीओ) की पारेषण संपत्तियां हस्तांतरित।
  • दिनांक 23.10.1992 को "नेशनल पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनपीटीसी)" से नाम बदलकर पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पॉवरग्रिड) कर दिया गया।

1991

  • न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की परिसंपतियाँ अर्जित की

1990

  • दिनांक 8 नवंबर 1990 को प्रारंभीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ
  • ±500kV रिहंद -दादरी एचवीडीसी द्वि-पोल लिंक, एशिया में पहली एचवीडीसी लाइन चालू की गई

1989

  • दिनांक 23.10.1989 को निगमित उच्च वोल्टेज प्रणाली के स्वामित्व, प्रचालन और रखरखाव के लिए "भारतीय राष्ट्रीय विद्युत पारेषण निगम (एनपीटीसी)" के रूप में गठित।